दूरसंचार उद्योग में प्रतिभाओं की कमी 2030 तक 3.8 गुना बढ़ जाएगी: रिपोर्ट

नयी दिल्ली, दूरसंचार क्षेत्र के लिए भारत के प्रमुख कौशल विकास संस्थान टेलीकॉम सेक्टर स्किल काउंसिल (टीएसएससी) की एक रिपोर्ट के अनुसार 2030 तक भारतीय दूरसंचार क्षेत्र में कुशल मानव शक्ति की मांग आपूर्ति का अंतर 3.8 गुना बढ़ जाएगा।

देश में दूरसंचार टेक्नोलॉजी क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के काम के लिए मानव संसाधन की आवश्यकताओं का खाका पेश करने वाली यह रिपोर्ट ड्रॉप के साथ मिलकर तैयार की गयी है।

‘टेलीकॉम टैलेंट इन 5जी एराः डिमांड सप्लाई स्किल गैप रिपोर्ट 2023-24’ रिपोर्ट शुक्रवार को यहां इंडिया मोबाइल कांग्रेस में एक परिचर्चात सत्र के दौरान जारी की गयी।

‘अनलॉकिंग दि पावर ऑफ टेलीकॉमः स्किलिंग फॉर ए कनेक्टेड वर्ल्ड’ विषय पर परिचर्चा में अतुल कुमार तिवारी, डाक्टर निर्मलजीत सिंह कलसी, पंकज महिंद्रू, प्रियंका आनंद, कार्स्टन एस. श्रोदर और टेलीकॉम सेक्टर स्किल काउंसिल के सीईओ अरविंद बाली जैसे उद्योग के विशेषज्ञ शामिल हुए। रिपोर्ट में रेखांकित किया गया है कि भारत वर्तमान में 24.1 लाख पेशेवरों की मांग आपूर्ति का अंतर दूरसंचार क्षेत्र में सामना कर रहा है और वर्ष 2030 तक इसके 3.8 गुना तक बढ़ने की संभावना है। इस रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया है कि सबसे प्रमुख चुनौतियों में से एक चुनौती यह है कि अकादमिक आवश्यकता और उद्योग की मांग के बीच बेमेल की वजह से टेक्नोलॉजी क्षेत्र में कंप्यूटर साइंस, आईटी और गणित में स्नातक केवल 40 प्रतिशत लोग ही रोजगार के लायक हैं।

भारतीय दूरसंचार उद्योग में लगे लोगों की कुल संख्या वर्तमान में 1.159 करोड़ है जिसमें 29.5 लाख कॉरपोरेट प्रतिभा और 82.4 लाख ब्लू कॉलर नौकरियों में हैं। मांग आपूर्ति अंतर रिपोर्ट आगे इस बात को भी रेखांकित करती है कि शीर्ष सभी 15 स्ट्रीम्स में नेटवर्क ऑपरेशन और मेंटनेंस व प्रोजेक्ट इंजीनियरिंग में सबसे अधिक कॉरपोरेट प्रतिभाएं हैं, जबकि नेटवर्क नेटवर्क ऑपरेशन एवं मेनटेनेंस और सेल्स एवं डिस्ट्रीब्यूशन- सर्विस सेगमेंट में सबसे अधिक ब्लू कॉलर प्रतिभाएं हैं।

इस रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि भारत को वर्ष 2025 तक 5जी केंद्रित उद्योगों खासकर क्लाउड कंप्यूटिंग, रोबोट और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) जैसे क्षेत्रों में 2.2 करोड़ कुशल कामगारों की जरूरत पड़ेगी। भारत अकेला ऐसा देश है जहां टेक्नोलॉजी, मीडिया और दूरसंचार (टीएमटी) क्षेत्र में 2030 तक 13 लाख कर्मचारियों के साथ अधिशेष कुशल श्रमबल रहने की संभावना है।

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