विपक्ष के हंगामे के बीच लोकसभा ने बुधवार को प्रतिस्पर्धा (संशोधन) विधेयक 2022 को ध्वनिमत से पारित किया।
पूर्वाह्न 11 बजे प्रश्न काल की कार्यवाही शुरू होते ही सदन में विपक्ष की ओर से नारेबाजी शुरू किये जाने के कारण कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित की गयी थी। स्थगन के बाद 12 बजे कार्यवाही शुरू होने पर शोरशराबे के बीच में ही सदन पटल पर रखे जाने और कुछ विधायी कार्यों को निपटाये जाने के बाद कार्यवाही तीन अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी गयी।
दोपहर 12 बजे सदन की कार्यवाही शुुरू होने के बाद विपक्षी सदस्याें के हंगामे के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रतिस्पर्धा (संशोधन) विधेयक 2022 चर्चा के लिए पेश किया। हंगामे के दौरान ही कुछ संशोधनों के साथ इसे पारित किया गया।
इस विधेयक में कंपनियों खासकर बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों के द्वारा किये जाने वाले विलय और अधिग्रहण के सौदों को बाजार प्रतिस्पर्धा की दृष्टि से और अधिक विनियमित करने के प्रावधान किये गये हैं। इसमें एक निश्चित मूल्य से अधिक के सौदों के लिए भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग की स्वीकृति अनिवार्य की गयी है। संशोधन के जरिए इसमें कंपनियों के कार्टेल को सीसीआई के समाधान व्यवस्था के तहत मामलों का समाधान करने की भी इजाजत दी जा रही है।
प्रतिस्पर्धा अधिनियम 2002 का उद्देश्य प्रतिस्पर्धा पर प्रतिकूल प्रभाव वाली चीजों को समाप्त करना और उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा करना है।
इस विधेयक के पारित होने के बाद कार्यवाही संचालित कर रहीं पीठासीन रमा देवी ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्री भूपेन्द्र यादव को वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक से संबंधित प्रस्ताव रखने को कहा। श्री यादव ने इसके बाद इस विधेयक को संयुक्त समिति में भेजने और इसमें शामिल होने वाले सदस्यों से संबंधित प्रस्ताव रखा।
श्री यादव की ओर से रखे प्रस्ताव को भी हंगामे के बीच ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गयी।
पीठासीन अधिकारी ने इससे पहले आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाये। उन्होंने बताया कि कुछ सदस्यों से प्राप्त स्थगन प्रस्ताव को अध्यक्ष ने स्वीकृति नहीं दी है।
उन्होंने सदन की 31 मार्च को पहले से तय बैठक आहूत न करने की छूट संबंधी प्रस्ताव पर सदस्यों की सहमति चाही, जिस पर सदस्यों की सहमति मिलने के बाद उस दिन सदन का अवकाश रखने की घोषणा की।
विधेयक पारित होने के बाद पीठासीन अधिकारी रमा देवी ने विपक्षी सदस्यों से अपनी-अपनी सीट पर जाने और सदन की कार्यवाही सुचारु रूप से चलाने में सहयोग देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “आप लोग भी जनता का वोट लेकर यहां आये हैं। इस तरह हंगामा करना अच्छी बात नहीं है। अपनी बात अपनी सीट पर जाकर कहिए। ”
काले लिबास में सदन में आये विपक्षी सदस्यों पर रमा देवी की बात का कोई असर नहीं हुआ और सदन में हंगामा तथा शोरशराबा जारी रहा। विपक्षी सदस्य अडानी मुद्दे की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति के गठन की मांग कर रहे थे। कुछ सदस्य अपने हाथों में तख्तियां भी लिये थे।
हंगामा और शाेरशराबा रुकते न देख रमा देवी ने सदन की कार्यवाही तीन अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी।
इससे पहले पीठासीन रमादेवी ने आज के दिन रखे जाने वाले प्रतिवेदन और दस्तावेज सदन के पटल पर रखे जाने की कार्यवाही संपन्न करवायी। इसके बाद उन्होंने घोषणा विपक्ष की कुछ सदस्यों की ओर से कार्य स्थगन प्रस्ताव के नोटिस मिले थे जिसे अध्यक्ष ने स्वीकृति नहीं दी।
इससे पहले पूर्वाह्न 11 बजे लोकसभा में प्रश्नकाल शुरू होते ही कांग्रेस एवं अन्य विपक्षी सदस्य सदन के बीचोबीच आकर हंगामा और शोरशराबा करने लगे थे, जिस पर पीठासीन अधिकारी भर्तहरि मेहताब ने कहा कि सदन की कार्यवाही सुचारु रूप से चलाना पीठ की ही नहीं बल्कि विपक्षी दलों के सदस्यों की भी जिम्मेदारी है। हंगामा जारी रहने पर उन्होंने सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी थी।