राजस्थान के अलवरजिले में स्थित सरिस्का बाघ अभयारण्य में अब पर्यटक भालू का भी दीदार कर सकेंगे और इसके लिए गुरुवार रात को माउंटआबू से एक मादा भालू सरिस्का लाया गया।
डीएफओ डी पी जागावत ने बताया कि इसे सरिस्का क्षेत्र के ताल वृक्ष रेंज में बने एंक्लोजर में छोड़ा गया। मादा भालू को सेटेलाइट सिग्नल वाला रेडियो कॉलर लगाया गया है। यह पूरी तरह आधुनिक तकनीक का बना हुआ है। इससे इसकी बेहतर मॉनिटरिंग हो सकेगी।
राष्ट्रीय व्याग्र संरक्षण प्राधिकरण नई दिल्ली, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय केन्द्र सरकार द्वारा जारी स्वीकृति अनुरूप एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक राजस्थान जयपुर द्वारा जारी स्वीकृति के बाद निर्धारित प्रोटोकॉल के अनुसार सरिस्का टाईगर रिजर्व में आबू पर्वत से एक वयस्क मादा भालू को टीम द्वारा सफलतापूर्वक पकड़कर सरिस्का लाया गया है।
मादा वयस्क भालू को सडक मार्ग द्वारा उप वन संरक्षक अरूण कुमार डी. (आई.एफ.एस), वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ. डी.डी. मीणा एवं अन्य स्टाफ के साथ सरिस्का लाया गया जो देर रात तक सरिस्का टाईंगर रिजर्व में पहुंचा।
श्री जागावत ने बताया कि वयस्क मादा भालू के अतिरिक्त एक वयस्क नर भालू को भी नियमानुसार उपयुक्त स्थलों से पकड़कर सरिस्का टाईगर रिजर्व में शीघ्र ही लाया जायेगा ताकि यह जोड़ा भविष्य में भालुओं की वंशवृद्धि कर सके। इन भालुओं को पशु चिकित्सक अधिकारियों एवं वन्यजीव अनुसंधान संस्थान देहरादून के विशेषज्ञ की उपस्थिति में उनकी तकनीकी राय अनुसार अग्रिम आदेशों तक सॉफ्ट एनक्लोजर में रखा जायेगा।
भालुओं के सॉफ्ट एनक्लोजर में शिफ्ट किये जाने पश्चात् इनके सामान्य व्यवहार होने पर इनको खुले जंगल में छोड़ा जायेगा। इन भालुओं के सरिस्का टाईगर रिजर्व में सफलतापूर्वक छोड़े जाने से पर्यटकों को भालुओं के भी दीदार हो सकेंगे। सरिस्का टाईगर रिजर्व में द्वितीय चरण में एक वयस्क नर एवं एक वयस्क मादा भालू को शीघ्र ही लाये जाने का प्रयास होगा। दोनों चरणों में दो वयस्क नर एवं दो वयस्क मादा भालुओं को सरिस्का टाईगर रिजर्व में छोड़े जाने की योजना है।
उल्लेखनीय है कि सरिस्का में भालों को लाने के लिए सबसे पहले जालौर के सुंधा माता रिजर्व में ऑपरेशन चलाया गया। सरिस्का की टीम फरवरी महीने में कई दिन तक इस रिजर्व एरिया में रही लेकिन भालू के पकड़ में नहीं आने पर बाद में यह टीम आबू पर्वत से मादा भालू को पकड़कर सरिस्का लाई।