नयी दिल्ली, वित्त मंत्रालय की एक मासिक रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक स्तार पर चुनौतियों के बावजूद आंतरिक आधारभूत शक्ति के चलते चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था की संभावनाए उज्ज्वल बनी हुई है।
मंत्रालय की सोमवार को जारी सितंबर, 2023 महीने की मासिक आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट ऐसे समय में आयी है जबकि पश्चिम एशिया में इज़राइल-हमास की लड़ाई चल रही है और जिससे अनिश्चितता बढ़ गयी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आगे के हालात कच्चे तेल की कीमतों को प्रभावित कर सकते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका में सरकारी बांड की आपूर्ति में लगातार वृद्धि तथा वहां प्रतिबंधात्मक मौद्रिक नीति बने रहने के कारण वित्तीय बाजार की स्थितियां प्रतिबंधात्मक बनी रह सकती हैं।
इसमें कहा गया है,“अनिश्चितताओं से भरी भू-राजनीतिक स्थितियां वैश्विक स्तर पर (बाजार में) जोखिम से बचने का भाव बढ़ाती हैं। यदि परिस्थितियां बिगड़ती हैं और लम्बे समय तक ऐसे ही बनी रहती हैं तो भारत सहित अन्य देशों में आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हो सकती हैं।”
रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक मांग में सुस्ती से भारत का विदेश व्यापार को प्रभावित हो रहा है, लेकिन चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही से इस मोर्चे पर स्थिति सुधार होने की संभावना है। इसमें कहा गया है कि भारत का व्यापार घाटा अपेक्षाकृत निम्न स्तर पर है और विदेशी मुद्रा भंडार भी ठीक-ठाक है। इससे भारत का विदेशी खाता मजबूत दिखता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में निजी उपभोग-मांग की मजबूती हाल के महीनों में भारत की आर्थिक वृद्धि की एक प्रमुख शक्ति रही है, इसके साथ वृद्धि को समर्थन देने वाल कुछ और कारक भी सामने आए हैं। इन नए उभरते कारकों में निवेश की मांग का धीरे-धीरे मजबूत होना। अब तक निवेश को मुख्य रूप से केंद्र सरकार के पूंजीगत व्यय और इसके कारण उसमें जुड़ने वाले निजी कॉर्पोरेट निवेश से ही ताकत मिल रही थी। यह कारक पहले की तरह बना हुआ है ,पर अब इसके साथ मकानों की मांग, उसके लिए बाजार से मांग के अनुरूप आवास ऋण की पेशकश से निर्माण कार्य और अचल सम्पत्ति बाजार को मदद मिली है।
रिपोर्ट के अनुसार आवास क्षेत्र के साथ दूसरा कारक औद्योगिक गतिविधियों में तेजी है। हाल के आंकड़ों और विश्वास संबंधी विश्वसनीय सर्वेक्षणों की रिपोर्टों में यह बात झलक रही है।
इसमें कहा गया है,“मजबूत और उभरती बैंकिंग प्रणाली और वित्तीय बाजार की मदद के साथ कंपनियों की बैलेंस शीट और उनकी नई निवेश गतिविधि में सुधार, (भारतीय अर्थव्यवस्था के परिदृष्य) को उज्जवल बनाता है।”
भारत की वृद्धि के बारे में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के नवीनतम संशोधित अनुमानों का उल्लेख करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि ये अनुमान वैश्विक अनिश्चितताओं और ताजा भू-राजनीतिक चुनौतियों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था की आधारभूत शक्ति में वैश्विक विश्लेषकों के बढ़ते विश्वास का परिचायक हैं।