संयुक्त राष्ट्र की महिला इकाई ‘यूएन वुमन’ ने अफ्रीकी देश सूडान में अर्द्धसैनिक समूह, रैपिड सपोर्ट फोर्सेज के बीच चल रहे भीषण संघर्ष का महिलाओं और किशोरियों पर पड़ रहे भयानक प्रभाव पर चिंता व्यक्त की है तथा यौन हिंसा के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
यूएन वुमन की कार्यकारी निदेशक सिमा बाहौस ने शुक्रवार को अपने एक बयान में कहा, “यूएन वुमन सूडान में जारी संघर्ष पर अपनी गंभीर चिंता व्यक्त करने में हमारे भागीदारों के साथ शामिल हो गई है। सभी संकटों की तरह, यह निश्चित रूप से सूडानी महिलाओं और किशोरियों के जीवन पर गंभीर और प्रतिकूल प्रभाव डालेगा।”
उन्होंने कहा, “हम सूडान के लोगों के साथ एकजुटता से खड़े हैं और उनका समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
सुश्री बाहौस ने कहा कि सूडान में यौन दुराचार की खबरें पहले ही आनी शुरू हो गयी हैं तथा संघर्ष तेज होने के दौरान ऐसी समस्य़ाओं के और अधिक बढ़ने का डर सता रहा है। ऐसे में सूडानी महिलाओं का लचीलापन आशा का स्रोत है, शांति की खोज में उनकी भूमिका तथा मानवतावादी कार्यकर्ताओं, देखभाल करने वालों और संरक्षकों के रूप में उनकी ताकत एक प्रेरणा है।
उन्होंने कहा, “हमें युद्धविराम और शांति के लिए उनके आह्वान पर ध्यान देना चाहिए और उनके द्वारा किए जाने वाले हर काम में उनका समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए।”
गौरतलब है कि सूडान के सशस्त्र बलों और अर्धसैनिक रैपिड सपोर्ट फोर्स (आरएसएफ) के बीच कई दिनों से जारी संघर्ष में अब तक 400 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी हैं। यूएन वुमन की अपील से एक दिन पहले, संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) ने चेतावनी दी थी कि इस भीषण लड़ाई में हजारों गर्भवती महिलाएं खतरे में हैं, क्योंकि उनके लिए इस युद्ध के बीच अपने घरों से निकलकर अस्पताल जाना खतरनाक हो गया है।
यूएनएफपीए का अनुमान है कि राजधानी खार्तूम में करीब 2.19 लाख गर्भवती महिलाएं हैं, जिनमें से 24 हजार महिलाओं के आगामी सप्ताहों में बच्चों को जन्म देने की उम्मीद है।