पीएसएससीआईवीई की व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण के माध्यम से जनजातीय शिक्षा में क्रांति लाने की अभूतपूर्व पहल
पीएसएससीआईवीई की व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण के माध्यम से जनजातीय शिक्षा में क्रांति लाने की अभूतपूर्व पहल
भारत में आदिवासी स्कूलों में व्यावसायिक शिक्षा शुरू करने के लिए एक परिवर्तनकारी पहल भोपाल में पीएसएस केंद्रीय व्यावसायिक शिक्षा संस्थान, भोपाल द्वारा 11 से 13 सितंबर 2023 तक आदिवासी स्कूलों में व्यावसायिक शिक्षा के कार्यान्वयन के लिए कार्य योजना के विकास पर एक बैठक आयोजित की । .कार्यक्रम की शुरुआत में पीएसएससीआईवी संयुक्त निदेशक डॉ. दीपक पालीवाल ने अपने भाषण में व्यावसायिक शिक्षा के क्षेत्र में किये गए कार्यों और उपलब्धियों के बारे में चर्चा की। डॉ.विनय स्वरूप मेहरोत्रा, प्रोफेसर और प्रमुख, पाठ्यक्रम विकास और मूल्यांकन केंद्र, पीएसएससीआईवी ने स्कूलों में शिक्षा के व्यावसाईकरण की अवधारणा और महत्वपूर्ण महत्व पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक प्रेजेंटेशन दिया। इस प्रस्तुति में व्यावसायिक शिक्षा एवं इससे जुड़े कई पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि कैसे व्यावसायिक शिक्षा अकादमिक शिक्षा और व्यावहारिक कौशल के बीच के अंतर को पाट सकती है और एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (ईएमआरएस) में व्यावसायिक शिक्षा शुरू करने के लिए एक रोडमैप प्रस्तुत किया। भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय के जनजातीय छात्रों के लिए राष्ट्रीय शिक्षा सोसायटी (एनईएसटीएस) की उपायुक्त श्रीमती इंदिरा मुद्गल ने मौजूदा ईएमआर स्कूलों के बारे में जानकारी दी और प्रासंगिक व्यावसायिक कौशल के साथ जनजातीय छात्रों को सशक्त बनाने के लिए रणनीतियों की रूपरेखा तैयार की। विशेषज्ञों में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) से प्रोफेसर ज्योत्सना तिवारी, अकादमिक सलाहकार डॉ. ब्यूटी गोगोई, नेशनल सेंटर फॉर स्कूल लीडरशिप, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशनल प्लानिंग एंड एडमिनिस्ट्रेशन, नई दिल्ली, डॉ.आशु कपूर, सलाहकार, एनईएसटीएस, और मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, सिक्किम और त्रिपुरा के ईएमआर स्कूलों के प्रिंसिपल और शिक्षक शामिल थे। इस तीन दिवसीय कार्यक्रम के दौरान गहन चर्चाओं और विचार-मंथन सत्रों के माध्यम से एक व्यापक कार्य योजना तैयार की गई।इस कार्य योजना में आवश्यकताओं का आंकलन, बुनियादी ढांचे की आवश्यकताएं, उद्योग सहयोग, राष्ट्रीय ढांचे के साथ पाठ्यक्रम संरेखण कार्यान्वयन के विभिन्न स्तरों पर जिम्मेदारियों का चित्रण आदि शामिल हैं। । इस आयोजन के दौरान विकसित की गई कार्य योजना पूरे भारत में आदिवासी स्कूलों में व्यावसायिक शिक्षा के भविष्य के लिए एक मार्गदर्शक ढाँचे के रूप में कार्य करेगी। बैठक समन्वयक डॉ. विनय स्वरूप मेहरोत्रा ने इस अभूतपूर्व पहल के प्रति आशा व्यक्त करते हुए कहा कि यह प्रयास आदिवासी छात्रों के लिए शैक्षिक परिदृश्य को राष्ट्रीय शिक्षा नीति २०२० अनुसार फिर से परिभाषित करने में एक मील का पत्थर साबित होगी, जिससे उन्हें व्यावहारिक ज्ञान और कौशल प्रदान किया जा सकेगा जो जीवन के विभिन्न पहलुओं में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए छात्रों को सशक्त बनाएगा।