बेंगलुरू में ‘एग्री यूनिफेस्ट’ का शुभारंभ

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बेंगलरु में बुधवार को ‘एग्री यूनिफेस्ट् को शुभारंभ करते हुए कहा है कि अमृत महोत्सव के आगामी 25 वर्षों का ठीक से सदुपयोग हो और युवा आबादी की ऊर्जा का ठीक से उपयोग हो तो वर्ष 2047 तक देश को विकसित भारत के रूप में अवश्य देख सकेंगे।

तोमर ने यह बात बेंगलुरू कृषि विश्वविद्यालय द्वारा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के सहयोग से आयोजित पांच दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम ‘एग्री यूनिफेस्ट’ में कही। इसमें 60 कृषि विश्वविद्यालयों, डीम्ड विश्वविद्यालयों और केंद्रीय विश्वविद्यालयों के 2500 से अधिक प्रतिभाशाली विद्यार्थी शामिल हुए हैं, जो पांच विषयों संगीत, नृत्य, साहित्य, रंगमंच, ललित कला के तहत 18 आयोजनों में अपने कौशल का प्रदर्शन कर रहे हैं। आईसीएआर द्वारा 1999-2000 के दौरान अखिल भारतीय अंतर कृषि विश्वविद्यालय युवा महोत्सव की संकल्पना और शुरूआत की गई थी, जिसका उद्देश्य विभिन्न भारतीय संस्कृतियों को जोड़कर भारतीय कृषि को एकीकृत करना है, ताकि कृषि विश्वविद्यालयों के युवाओं की प्रतिभा निखर सकें और वे भारतीय सांस्कृतिक विविधता की सुंदरता को चित्रित करें।

केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि समय की मांग है कि हम अपने जीवन के हरेक पल का पूरी तरह सदुपयोग करें। विद्यार्थियों के लिए अध्ययन एक पक्ष है लेकिन जब व्यक्ति का समग्र रूप से विकास होता है तो वह अपने परिवार, समाज, संस्था, राज्य और देश के विकास में ज्यादा योगदान दे सकता है। देश के प्रत्येक नागरिक की सोच एवं दृष्टि समग्र होना चाहिए और सबको मिलकर अपने देश को विकास के पथ पर आगे बढ़ाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि आज जिस कालखंड में हम हैं, उसमें टेक्नाेलाॅजी का बड़ा महत्व है। टेक्नाेलाॅजी का उपयोग कृषि में भी हो, यह भी समय की जरूरत है। सभी क्षेत्रों में पारदर्शिता लाने एवं बरसों से नहीं हो रहे काम कुछ दिनों में ही हो सकें, इसके लिए टेक्नाेलाॅजी की आवश्यकता बहुत अधिक है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है, जिसमें अभी तक करोड़ों किसानों को सीधे उनके बैंक खातों में बिना बिचौलियों के 2.40 लाख करोड़ रुपये प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) द्वारा दिए गए हैं, जो निश्चित ही आश्चर्यजनक है।

तोमर ने कहा कि भारत में विभिन्न भाषाएं है, विभिन्न रीतियां एवं परंपराएं है, फिर भी अटक से कटक तक और कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारतीय संस्कृति एवं संस्कृति की आत्मा एक ही है। उन्होंने कहा कि अलग-अलग जगह ‘एग्री यूनिफेस्ट’ जैसे आयोजनों के माध्यम से विविध क्षेत्रों में छुपी हुई प्रतिभाएं उभरती है तो देश की सांस्कृतिक एकता का परिचय होता है। एकता, एकात्मता में बदलती है और जब एकात्मता बलवती होती है तो देश की ताकत बढ़ती है और यहीं ताकत बढ़ते रहने की आवश्यकता है, तभी एक भारत-श्रेष्ठ भारत की कल्पना को साकार करने में हम सफल होंगे।

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