अमेरिका और चीन के बाद भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप वाला देश

भारत में उद्यमशीलता और स्टार्टअप परिदृश्य में पिछले कुछ वर्षों में जबरदस्त वृद्धि देखी गई है, जिसने भारत को अमेरिका और चीन के बाद दुनिया के तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप पारितंत्र में बदल दिया है। पिछले कुछ वर्षों में 100 से अधिक यूनिकॉर्न को उभरते देखा है। वित्त वर्ष 2022 तक 40 हजार से अधिक सक्रिय स्टार्टअप के साथ इसका प्रभाव बहुत गहरा और व्यापक रहा है।
टीआईई दिल्ली-एनसीआर के दिल्ली चैप्टर के सहयोग से बॉस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) ने द्वारा इसको लेकर जारी एक रिपोर्ट में यह बात कही गयी है। पिछले दशक में कई अंतिम चरण की कंपनियां प्रतिष्ठित ‘हॉकी स्टिक कर्व’ की तरह कामयाब रहीं, जबकि तेजी से बढ़ने की कोशिशों के बीच कई और असफल भी रहीं।
प्रमुख स्टार्टअप संस्थापकों और निवेशकों के साथ बातचीत के आधार पर रिपोर्ट आठ प्रमुख विषयों के साथ सफल भारतीय और वैश्विक लेट-स्टेज स्टार्टअप की कहानियों को साझा करती है, जिसने उन्हें भारत में अपना दायरा बढ़ाने में मदद की। हालांकि, कोई एक पैमाना नहीं है, लेकिन प्रमुख संस्थापकों और निवेशकों ने लक्षित ग्राहक समूहों का विस्तार करने और तेज वृद्धि के साथ यूनिट बिजनस इकॉनमी के उद्देश्यों के सामंजस्य के लिए सही व्यवसाय मॉडल स्थापित करने से लेकर रणनीति और रणनीति के बारे में जानकारी दी है।
रिपोर्ट न केवल इन स्टार्ट-अप की सफलता की कहानियों पर प्रकाश डालती है बल्कि हाइपरस्केलिंग या तेज गति से विस्तार के समय संभावित नुकसान के प्रति आगाह भी करती है। भविष्य का रास्ताकुल मिलाकर पिछले एक दशक में स्टार्टअप की अच्छी-से-शानदार यात्रा से सीख लेते हुए, हमें उन्हें नए बाजार की वास्तविकताओं और स्वयं के संदर्भ में भी अनुकूलित करना चाहिए। 2022 में स्टार्टअप के लिए वेंचर फंडिंग में 40 प्रतिशत की गिरावट आई है और पिछले 6 महीनों में कोई नया यूनिकॉर्न सामने नहीं आया। साथ ही 2021-22 के अनुमान के अनुसार, भारत में 100 में से केवल 18 स्टार्ट-अप ही मुनाफे में हैं। सिलिकॉन वैली बैंक की विफलता और संबंधित घटनाओं ने निकट अवधि में अस्थिरता और अनिश्चितता को और बढ़ा दिया है। लंबी अवधि के ग्राहक मूल्य और यूनिट इकॉनमिक्स की स्पष्ट दृष्टि के बिना नकदी को खर्च कर ‘तेजी से विस्तार’ करने की प्रवृत्ति हमेशा पीछे हट जाती है। इस समय स्टार्टअप्स के लिए वित्तीय रास्ते का बना रहना और विस्तार सबसे अधिक महत्‍वापूर्ण होना चाहिए।
हालांकि कई भारत-केंद्रित फंड बड़ी मात्रा में अनावंटित पूंजी को उपयुक्त समय पर तैनात करने के लिए बैठे हुए हैं। युवा होनहार स्टार्ट-अप पूंजी को आकर्षित करना जारी रखेंगे, और ऐसा ही अच्छी तरह से चलने वाले लेट-स्टेज स्टार्ट-अप्स भी करेंगे। संस्थापक को अल्पावधि में मूल्यांकन पर अधिक लचीला होना पड़ सकता है, साथ ही उद्यम ऋण जैसे धन के वैकल्पिक स्रोतों के लिए खुला होना चाहिए।

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