शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने शनिवार को नाभा राज्य के महाराजा रिपुदमन सिंह का चित्र केंद्रीय सिख संग्रहालय में लगाया।
महाराजा रिपुदमन सिंह ने अपने जीवन में साम्प्रदायिकता की रक्षा करते हुए अनेक महत्वपूर्ण कार्य किए। 1909 में आनंद विवाह अधिनियम पारित कराने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। इसके साथ ही शक श्री ननकाना साहिब के समय शिरोमणि कमेटी के आमंत्रण पर काली पगड़ी बांधकर विरोध करने वालों में महाराजा नाभा भी शामिल थे। उनकी पंथिक सेवाओं के बदले में उनके चित्र को केंद्रीय सिख संग्रहालय में रखा गया है।
शिरोमणि समिति के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि महाराजा रिपुदमन सिंह नाभा ने पंथक सेवाओं में बहुत बड़ा योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि महाराजा रिपुदमन सिंह ने अपने राज्याभिषेक के दौरान अंग्रेजों की परंपरा के बजाय गुरुमती की पद्धति को प्राथमिकता दी थी और इसी तरह साका श्री ननकाना साहिब के विरोध में काली पगड़ी सजाने के अलावा उन्होंने नाभा राज्य में प्रार्थना (गुरुमती) के दिन का अवकाश घोषित कर दिया था।
शिरोमणि कमेटी के अध्यक्ष ने कहा कि महाराजा नाभा को उनकी सांप्रदायिक सोच के बहाने ब्रिटिश सरकार ने गद्दी से हटा दिया था, जिसके विरोध में सिख पंथ ने मोर्चा खोल दिया था। शिरोमणि समिति ने इस संस्कारी व्यक्तित्व को सम्मान देकर अपना कर्तव्य पूरा किया है।
महाराजा रिपुदमन सिंह के परिवार की बीबी प्रीति सिंह ने कहा कि हमें अपने पूर्वजों पर गर्व है। उन्होंने कहा कि महाराजा नाभा ने कालापानी की सजा तो स्वीकार कर ली, लेकिन अंग्रेजों से माफीनामा नहीं लिखा।
इस अवसर पर शिरोमणि समिति के वरिष्ठ सदस्य सुरजीत सिंह तुगलवाल, सचिव दीवान टोडरमल हेरिटेज फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रताप सिंह, महाराजा रिपुदमन सिंह के परिवार से लखविंदर सिंह कहनेके, राजा भानुप्रताप सिंह नाभा, महारानी प्रीति सिंह, महारानी ओमा सिंह, युवराज अभि उदप्रताप सिंह, अपर सचिव सुखमिंदर सिंह, मो. कुलविंदर सिंह रामदास आदि उपस्थित थे।