सुसाइड प्रिवेंशन के लिए तैयार हुए गेट कीपर्स
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय भोपाल द्वारा Suicide Prevention के लिए प्रशिक्षण का आयोजन शनिवार को पीपुल्स मेडिकल कॉलेज में आयोजित किया गया। प्रशिक्षण में आत्महत्या से संबंधित विभिन्न मानसिक, शारीरिक, सामाजिक, आर्थिक, भावनात्मक पक्षों की जानकारी देकर उन्हें Suicide Prvention तथा मानसिक रोगों की पहचान व प्रबंधन करने हेतु प्रेरित किया गया। दुनियाभर में 60% आत्महत्या के मामले भारत और चीन में होते हैं। भारत में अकेले पांच राज्यों में ही आत्महत्या 50 प्रतिशत मामले पाए जाते हैं, इनमें मध्यप्रदेश भी शामिल है।
प्रशिक्षण में आत्महत्या की समस्या और कारण, मैदानी कार्यकर्ताओं की भूमिका, आत्महत्या के लिए संवेदनशील व्यक्तियों की पहचान, आत्महत्या रोकथाम की विधियां, मनकक्ष, टेलीमानस और मनहित ऐप के माध्यम से दी जा रही सेवाओं, रेफरल एवं फॉलोअप की रणनीतियों के बारे में विषय विशेषज्ञों द्वारा जानकारी दी गई।
प्रशिक्षण को सम्बोधित करते हुए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भोपाल डॉ. प्रभाकर तिवारी ने बताया कि राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम अंतर्गत सुसाइड प्रीवेंशन के लिए मैदानी कर्मचारियों एवं अधिकारियों को गेटकीपर की भूमिका के लिए तैयार किया जा रहा है, ताकि वे आत्महत्या के कारकों की पहचान कर इस दिशा में कुशलतापूर्वक कार्य कर सकें।आत्महत्या को रोकने के लिए मैदानी कार्यकर्ताओं की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। समय पर ऐसे लोगों को चिन्हित कर उन्हें परामर्श देना एवं रेफर करना मैदानी कार्यकर्ताओं की महत्वपूर्ण जवाबदारी है। जिला चिकित्सालय जयप्रकाश के मनकक्ष में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं नि:शुल्क उपलब्ध है। टेलीमानस हेल्पलाइन नंबर 14416 अथवा 1800 8914416 पर 24 घंटे सातों दिन नि:शुल्क परामर्श उपलब्ध है।
पीपुल्स मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ.राजेश गौर ने अपने उदबोधन में कहा कि मानसिक समस्याओ और व्यक्तित्व विकारों पर ध्यान देते हुए इनके उपचार को महत्व देना चाहिए। गेटकीपर वे लोग हो सकते हैं जिनकी सामाजिक प्रवृत्तियां और समस्या समाधान की क्षमताएं उच्च स्तर की होती है। स्वास्थ्यकर्मी, मानसिक स्वास्थ्य सेवा प्रदाता, स्कूल कॉलेज के शिक्षक एवं विद्यार्थी, परिवार के सदस्य तथा मित्र पुलिस , पंचायत एवं अन्य विभाग, गैर सरकारी संस्थाओं के लोग, धार्मिक समूहों के प्रतिनिधि गटकीपर्स हो सकते हैं। समस्या की पहचान करना जोखिम कारकों और व्यवहार पर बात करते हुए उनका आकलन करना सक्रियता के साथ सुनना विश्वसनीय और सहयोगपूर्ण संबंध स्थापित करना रेफर करना निरंतर फॉलोअर्स सुनिश्चित करना गेटकीपर की प्रमुख जवाबदारी है।
पीपुल्स मेडिकल कॉलेज के मानसिक रोग विभाग के विभागध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. वैभव दुबे ने बताया कि आत्महत्या सार्वजनिक स्वास्थ्य के एक बड़ी समस्या है, जो दुनियाभर में एक गंभीर चुनौती के रूप में उभर रही है। भारत में आत्महत्या के मामलों की निगरानी करने वाली संस्था राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की वर्ष 2023 की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022 में 1 लाख 71 हजार लोगों ने आत्महत्या कर अपना जीवन समाप्त कर लिया था। मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं आत्महत्या का एक बड़ा कारण है। भारत में लगभग 54 प्रतिशत आत्महत्या मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के कारण होती हैं। शैक्षणिक तनाव के कारण होने वाली आत्महत्या के लगभग 23 प्रतिशत मामले भारत में पाए गए हैं ।
गाँधी चिकित्सा महाविद्यालय में मानसिक रोग विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ.जे.पी. अग्रवाल ने प्रशिक्षण में बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया भर में हर साल 7 लाख से अधिक लोग आत्महत्या करते हैं 15 से 29 साल के किशोर और युवाओं में मौत की सबसे बड़ी वजह आत्महत्या है। अवसाद ग्रस्त होना, बार-बार बेचैनी और घबराहट होना, भावनाओं में तेजी से बदलाव होना, हर वो चीज जिसमें पहले खुशी मिलती थी अब उसमें दिलचस्पी कम होना , मन में प्रायः नकारात्मक बातों का आना,नशे की समस्या से परेशान रहना, भविष्य को लेकर नकारात्मक दृष्टिकोण जैसे लक्षण होने पर चिकित्सकीय सलाह लेना आवश्यक है।
जयप्रकाश जिला चिकित्सालय के मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. आर के बैरागी ने कहा कि विभिन्न अध्ययनों से यह पता चला है कि अधिकांश लोग अवसाद लाचारी और जीवन में कुछ नहीं कर पाने की हताशा के चलते आत्महत्या करते हैं इसके अलावा आत्महत्या करने की चिकित्सकीय वजह है जैसे असाध्याय लंबे समय तक चलने वाले रोग भी हो सकते हैं। आत्महत्या की रोकथाम में गेट कीपर्स की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। आत्महत्या की रोकथाम के क्षेत्र में गेट कीपर शब्द का अर्थ समुदाय में ऐसे व्यक्ति से है जो अपनी सामान्य दिनचर्या के हिस्से के रूप में बड़ी संख्या में जन समुदाय के सदस्यों के साथ जीवन संपर्क रखते हैं। ऐसे लोगों के सामाजिक कौशलों को ध्यान में रखकर उन्हें आत्महत्या के जोखिम वाले व्यक्तियों की पहचान करने , भावनात्मक प्राथमिक उपचार देने के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं से संबद्ध करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।
जिला चिकित्सालय में पदस्थ चिकित्सा मनोवैज्ञानिक श्री राहुल शर्मा ने प्रशिक्षण के दौरान बताया कि आत्महत्या एक गंभीर मनोवैज्ञानिक और सामाजिक स्वास्थ्य की समस्याएं जिसे सही समय पर सलाह और परामर्श से काफी हद तक रोका जा सकता है।
उल्लेखनीय की स्वास्थ्य विभाग जिला भोपाल द्वारा विभिन्न विषयों पर तकनीकी और विशेषज्ञीय जानकारी के लिए चिकित्सकों, पैरामेडिकल स्टाफ और मैदानी कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण विभिन्न मेडिकल कॉलेज और तकनीकी संस्थानों में करवाया जा रहा है।