उज्जयिनी विद्वत परिषद द्वारा इस वर्ष पड़ने वाली दीपावली के संबंध में विचार विमर्श किया गया। विद्वत् परिषद् के अध्यक्ष डॉ. मोहन गुप्त के अनुसार इस वर्ष दीपावली 01 नवम्बर 2024 को ही मनाना शास्त्र सम्मत है। आमतौर पर तिथियों में मतभेद या तो स्थान भेद के कारण होता है जिससे सूर्योदय या सूर्यास्त में बहुत अन्तर हो, या फिर शास्त्र भेद के कारण होता है। शास्त्र भेद का आशय यह है कि वर्तमान में बहुत से सिद्धात जैसे गृह लाघवीय, सौर सिद्धान्त आदि की गणना में विचलन हो चुका है. जिसके कारण उनका गणित आकाशीय स्थिति से मेल नहीं खात्ता। अर्थात् सूक्ष्म दृश्य गणितानुसार नहीं होता। आजकल यद्यपि 90 प्रतिशत से अधिक पंचांग सूक्ष्म दृश्य गणितानुसार केतकी या चित्रा पक्षीय गणना का ही अनुसरण करते हैं लेकिन कुछ पंचांग कार अभी भी गृह लाघवीय या दूसरी गणना पद्धति का प्रयोग करते हैं जो वर्तमान में शुद्ध नहीं रही है। श्री आनन्द शंकर व्यास के पंचांग में भी गृह लाघवीय का प्रयोग होता है, इसलिये उसकी तिथि आदि गणना सूक्ष्म दृश्य गणितानुसार शुद्ध नहीं है।
इस वर्ष सूक्ष्मदृश्यगणितानुसार 31 अक्टूबर 2024 को दिन में 3 बजकर 52 मिनिट से कार्तिक अमावस्या तिथि प्रारंभ होकर दूसरे दिन अर्थात् 01 नवम्बर 2024 को सूर्यास्त बाद 6 बजकर 17 मिनिट तक रहेगी, इस दिन सूर्यास्त सायं 5 बजकर 45 मिनिट पर होगा। शास्त्रों में उल्लेख है कि श्री महालक्ष्मी पूजन का मुख्य कर्मका प्रदोषकाल है प्रदोष दीपदान लक्ष्मी पूजनादि विहितम (धर्मसिन्धु) एवं प्रदोष समय लक्ष्मी पूजयित्वाततः ।
तिथि पर्व आदि का निर्णय दो आधारों पर होता है, या तो जिस सूर्योदय के समय जो तिथि होती है, उसको माना जाता है या कभी कभी शास्त्र या साम्प्रदायिक परम्परा के अनुसार पर्वकाल में जिस दिन तिथि होती है, उस दिन माना जाता है। किन्तु लगभग सभी शास्त्र स्पष्ट रूप से यह कहते हैं कि जहां दो दिन पर्वकाल में तिथि हैं, वहा दूसरे दिन पर्व त्यौहार मनाया जाना चाहिये और उसका कारण यह है कि दूसरे दिन तिथि सूर्योदय पर भी रहती है और पर्वकाल में भी रहती है। अतः वह श्रेष्ठ है। इस वर्ष भी 01 नवम्बर को अमावस्या सूर्योदय पर भी है और सूर्यास्त के बाद 06 बजकर 17 मिनिट तक है जबकि सूर्यास्त 5 बजकर 45 मिनिट पर ही होगा। अतः स्पष्ट रूप से दूसरे दिन अर्थात् 01 नवम्बर 2024 को ही पर्व की अमावस्या ग्राह्य और उसी दिन प्रदोषकाल में महालक्ष्मी पूजन दीपदान इत्यादि करना चाहिये। धर्मसिन्धु में स्पष्ट कहा गया है परदिन एव दिनद्वयेऽपि वा प्रदोष व्याप्ती वा परा। भट्टोजिदीक्षितकृत तिथि निर्णय में लिखा है इयं प्रदोषव्याप्ति ग्राह्या दिनद्वये सत्त्वाऽसत्त्वे परा। अर्थात् यदि अमावस्या दोनों दिन प्रदोषकाल का व्याप्त (स्पर्श) करें या नहीं करें, ऐसी स्थिति में दूसरे दिन की अमावस्या में महालक्ष्मी पूजा करें।
न केवल उज्जैन के दृग्गणित पंचांगों में दीपावली 01 नवम्बर 2024 की दी गई है अपितु दिल्ली से प्रकाशित लाल बहादुर शास्त्रीय केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के संरक्षकत्व में प्रकाशित नैसर्गिक पंचांग में भी दीपावली 01 नवम्बर की बताई गई है। जावरा से प्रकाशित श्री सिद्ध विजय पंचांग के अनुसार भारत में 70 से अधिक दृश्य गणित पंचागों में दीपावली 1 नवम्बर 2024 को मानी गई है जिसमें अपने क्षेत्र के व अन्य प्रसिद्ध पंचांगों के नाम इस प्रकार हैं श्री मार्तण्ड, दाते, निर्णय सागर, श्री धरशिवलाल, श्री शिवशक्ति, श्री बुद्धेश्वर, भादवामाता, बद्रीकाशी, पुष्पाजलि, कालचक्र, विक्रमादित्य, महाराष्ट्रीयन, दिवाकर, सन्देश, प्रत्यक्ष, ब्रजभूमि, श्री चण्डमार्तण्ड एवं श्री व्यास पंचांग (गुजरात) आदि अनेकानेक पंचांगों में दिनांक 01 नवम्बर 2024 को ही दीपमालिका पर्व प्रकाशित हुआ है।
इन्दौर के विद्वानों ने भी 01 नवम्बर 2024 को ही दीपावली मनाने का निर्णय लिया है।
अतः उज्जैन में भी शास्त्र की परम्परा के अनुसार तथा सूक्ष्म दृश्य गणितानुसार प्राप्त दीपावली पर्व 01 नवम्बर 2024 शुक्रवार को ही मनाया जाना उचित और शास्त्र सम्मत है।