आदिवासियों को 'वनवासी' कहना उनका सबसे बड़ा अपमान : राहुल

बदनावर (धार), कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने आज आदिवासियों के बीच बिना किसी का नाम लिए कहा कि भारतीय जनता पार्टी के लोगों ने आदिवासियों को वनवासी कहना शुरु कर दिया है और ये आदिवासियों का सबसे बड़ा अपमान है।
गांधी ने ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के तहत मध्यप्रदेश के धार जिले के बदनावर में आमसभा को संबोधित किया। इस दौरान पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार भी उपस्थित रहे।
सभा में बड़ी संख्या में मौजूद आदिवासियों को संबोधित करते हुए श्री गांधी ने अपने संबोधन की शुरुआत राज्य के सीधी कांड का संदर्भ देेते हुए की। उन्होंने कहा कि भाजपा की विचारधारा ऐसी ही है। भाजपा सिर्फ आदिवासियों के साथ नहीं, दलितों और गरीब पिछड़ों के साथ भी ऐसा ही व्यवहार करती है। भाजपा के लोग सभी जगह कमजोरों का अपमान करते है।
उन्होंने कहा कि भाजपा के लोगों ने अब आदिवासियों को वनवासी कहना शुरु कर दिया है। इसके साथ ही उन्होंने दोनों शब्दों का अर्थ समझाते हुए कहा कि आदिवासी का मतलब वो व्यक्ति, जो जमीन का सबसे पहला मालिक था, वहीं वनवासी का अर्थ उन लोगों से है, जो जंगलों में रहते हैं। उन्होंने कहा कि अगर आदिवासी काे आदिवासी कहेंगे तो सरकार को उन्हें जल-जंगल-जमीन का हक देना पड़ेगा। आदिवासियों को वनवासी कहने से बड़ा अपमान उनका कोई और नहीं सकता।
इसी क्रम में उन्होंने कहा कि ये लोग एक दिन आपसे जंगल भी छीन लेंगे और कहेंगे कि आप वनवासी हो, पर वन तो अब है नहीं। तब आदिवासियों से कहा जाएगा कि वे मजदूरी करें, भीख मांगें या भूखे मरें। यही इन दाे शब्दों का फर्क है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि देश में आदिवासियों की आठ फीसदी और मध्यप्रदेश में 24 फीसदी आबादी है, लेकिन देश भर में बड़ी-बड़ी कंपनियों के मालिकों में से कोई आदिवासी नहीं मिलेगा। देश में आदिवासियों के साथ जो हो रहा है, वो ही दलितों, पिछड़ों और सामान्य वर्ग के गरीबों के साथ भी हो रहा है। इसके साथ ही उन्होंने अडाणी समूह समेत देश के बड़े औद्योगिक घरानों पर भी हमले बोले।
उन्होंने कहा कि इसी परिवेश को बदलने के लिए कांग्रेस की सरकार बनते ही जाति जनगणना कराई जाएगी। साथ ही किसानों को एमएसपी की लीगल गारंटी देते हुए इस पर कानून बनाया जाएगा।

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