आदिवासियों के हितों और उनके सर्वांगिण विकास के लिए सरकार कृतसंकल्पि: मुंडा

नयी दिल्ली, जनजातिय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा के इस आश्वासन के बाद बीजू जनता दल के सस्मित पात्रा ने अपना निजी विधेयक साल पत्तों के संग्रहकों और व्यापारियों का कल्याण विधेयक 2022 को शुक्रवार को वापस ले लिया कि मोदी सरकार आदिवासियों के हितों और उनके सर्वांगिण विकास के लिए कृतसंकल्पित है।
श्री मुंडा ने इस निजी विधेयक पर राज्यसभा में आज कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार देश के विकास के लिए प्रतिबद्ध है और इसी के तहत आदिवासियों का सर्वांगिण विकास भी शामिल है। उन्होंने कहा कि आबादी का मापदंड पूरा नहीं होने के कारण सुदूरवर्ती क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी विकास से वंचित रह जाते थे लेकिन इस सरकार ने जरूरत पड़ने पर इस नियम को नरम करने का निर्देश दिया है ताकि विकास की मुख्य धारा से आदिवासी समुदायों को भी जोड़ा जा सके। प्रधानमंत्री ने 75 ऐसे आदिवासी समूहों के लिए एक विशेष योजना पीएम जनमन की शुरूआत की है और इसके तहत एक लाख आवास बनाने का काम शुरू किया गया है। बारह सौ किलोमीटर सड़क निर्माण का कार्य प्रारंभ हो रहा है। आदिवासियों के वासाहट तक बिजली पहुंचाने का काम किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि साल के पत्ते पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ ही पवित्र भी होता है और इस पर भोजन करने की पुरानी परंपरा है। उन्होंने कहा कि वन अधिकार कानून को लागू किया गया है ताकि आदिवासियों को वनोपज का अधिकार मिल सके। इसके साथ ही, कौशल विकास का काम भी किया जा रहा है ताकि वे अपने वनोपज को और अधिक मूल्यवर्द्धित बना सके। उनकी सुरक्षा के दृष्टि से काम किया जा रहा है। पचासी वनोपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया गया है। बंधन केन्द्र की अवधारणा लेकर प्रबंधन का काम किया गया है। स्व सहायता समूहों के साथ मिलकर काम किया जा रहा है।
इसके बाद श्री पात्रा ने अपने निजी विधेयक को वापस ले लिया जिसकी सदन ने ध्वनिमत से अनुमति दी। इससे पहले श्री पात्रा ने विधेयक पेश करते हुये कहा,“ हमारी पंरपरा में सात के पत्तों पर भोजन की प्रथा थी लेकिन आधुनिकीकरण के कारण इसकी विक्री लगभग समाप्त हो चुकी है।”
अमेरिका जैसे विकसित देश में हालांकि सात पत्तों से बने प्लेट आदि उत्पादों का बड़ी बड़ी कंपनियां उपयोग कर रही है।उन्होंने साल पत्तों के संग्राहकों और व्यापारियों के कल्याण के लिए एक बोर्ड या इसी तरह का कोई निकाय बनाने की मांग की थी। इसके साथ ही उनके कल्याण के लिए कोष बनाने के साथ ही न्यनतम मजूदर तय किये जाने की व्यवस्था करने की बात की थी।

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