वित्त मंत्री ने कहा कि पूंजीगत व्यय के लिए राज्यों को 50 वर्षीय ब्याज मुक्त ऋण की योजना इस वर्ष जारी रखी जाएगी और कुल परिव्यय 1.3 लाख करोड़ रुपये होगा। पचास वर्षीय ब्याज मुक्त ऋण के रूप में 75000 करोड़ रुपये का प्रावधान इस वर्ष प्रस्तावित किया गया है, ताकि राज्य सरकारों की ‘विकसित भारत’ संबंधी उपलब्धियां आधारित सुधारों को लागू करने में आवश्यक सहायता दी जा सके।
वित्त मंत्री के 2021-22 के बजट भाषण में की गयी राजकोषीय सुदृढ़ीकरण की घोषणा के तहत राजकोषीय घाटे को कम करके वर्ष 2025-26 तक 4.5 प्रतिशत से भी नीचे लाने का लक्ष्य रखा गया। श्रीमती सीतारमण ने कहा कि इसी मार्ग पर अग्रसर होते हुए राजकोषीय घाटा वर्ष 2024-25 में जीडीपी का 5.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है। चालू वित्त वर्ष में इसके जीडीपी के 5.8 प्रतिशत पर रहने की उम्मीद है। इसी तरह वर्ष 2024-25 के दौरान प्रतिभूतियों के जरिए सकल और शुद्ध बाजार उधारियां क्रमश: 14.13 और 11.75 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है और ये दोनों ही वर्ष 2023-24 के दौरान आंकी गई सकल और शुद्ध बाजार उधारियों से कम होंगी।
अर्थव्यवस्था के कुछ संकेतों का उल्लेख करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि उधारियों के अलावा कुल प्राप्तियों का संशोधित अनुमान 27.56 लाख करोड़ रुपये है जिसमें कर प्राप्तियां 23.24 लाख करोड़ रुपये हैं। कुल व्यय का संशोधित अनुमान 44.90 लाख करोड़ रुपये है। राजस्व प्राप्तियों 30.03 लाख करोड़ रुपये के बजट अनुमान से कहीं ज्यादा रहने की आशा है जो देश में विकास की गति तेज रहने और अर्थव्यवस्था के औपचारिकरण को दर्शाता है।
श्रीमती सीतारमण ने कहा कि वर्ष 2024-25 के दौरान प्रतिभूतियों के जरिए सकल और शुद्ध बाजार उधारियां क्रमश: 14.13 लाख करोड़ और 11.75 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है और ये दोनों ही उधारियां वर्ष 2023-24 की तुलना में कम रहेंगी।
उन्होंने घोषणा की कि वर्ष 2014 से लेकर वर्ष 2023 तक की अवधि के दौरान देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रवाह 596 अरब डॉलर का हुआ है जो स्वर्णिम युग को दर्शाता है और जो वर्ष 2005-2014 के दौरान हुए कुल एफडीआई प्रवाह का दोगुना है। वित्त मंत्री ने कहा कि देश में विदेशी निवेश को निरंतर प्रोत्साहित करने के लिए हम ‘पहले भारत को विकसित करो’ की भावना के तहत अपने विदेशी साझेदारों के साथ द्विपक्षीय निवेश समझौतों पर बात कर रहे हैं।