सीआईआई की राजकोषीय मजबूती, आयकर छूट को मंहगाई से जोड़ने की सिफारिश

नयी दिल्ली, भारतीय उद्योग मंडल ने चुनावी वर्ष के लिए पेश किए जाने वाले लेखानुदान और बजट प्रस्तावों में सरकार से आर्थिक वृद्धि की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए राजकोषीय सुदृढता की राह पर बने रहने और वर्ष 2024-25 में राजकोषीय घाटा 5.4 प्रतिशत तक सीमित रखने का लक्ष्य रखने की सिफारिश की है।
सीआईआई ने बजट सत्र से पूर्व वित्त मंत्रालय को प्रस्तुत एक ज्ञापन में कहा है कि सरकार को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को और सरल बना कर इसके ढांचे को तीन दरों वाला बनाने का संकेत देना चाहिए। सीआईआई ने कहा है कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में उपभोग मांग का लगभग 60 प्रतिशत (सबसे बड़ा) योगदान है। संगठन ने उपभोक्ता मांग को प्रोत्साहित करने की जरूरत को रेखांकित करते हुए कहा कि व्यक्तिगत आयकर की छूट और रियायतों को महंगाई की दर से जोड़ने से लोगों की जेब में खर्च योग्य आय को बढ़ावा मिल सकता है।
सीआईआई की ओर से कहा गया है कि वित्त मंत्री को लेखानुदानों के प्रस्ताव में प्रत्यक्ष कर व्यवस्था को भी और सरल करना चाहिए जिसमें स्रोत पर कर की कटौती (टीडीएस) का प्रावधान केवल दो या तीन प्रकार के भुगतानों तक सीमित किए जाने का संकेत देना चाहिए। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2024 आम चुनाव का वर्ष होने के नाते सरकार 31 जनवरी से शुरू हो रहे संक्षित बजट सत्र के दौरान अगले कुछ माह के खर्चों के लिए लेखानुदान लाएगी। वर्ष 2024-26 का पूर्ण बजट नयी सरकार द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा।
सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने एक बयान में कहा, “जैसा कि वैश्विक आर्थिक क्षितिज पर अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं, आर्थिक विकास और राजकोषीय सुदृढीकरण के बीच संतुलन बनाए रखना महत्वपूर्ण है। सरकार को इस साल के राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 5.9 प्रतिशत तक सीमित रखने के लक्ष्य पर कायम रहना चाहिए और वित्त वर्ष 2015 के लिए इसे लगभग 5.4 प्रतिशत तक सीमित करने का लक्ष्य रखना चाहिए।”
उन्होंने कहा है कि आर्थिक वृद्धि और राजकोषीय मजबूती के लक्ष्यों में संतुलन बनाने के लिए राजस्व बढ़ाने और व्यय को तर्कसंगत बनाने के लिए विशिष्ट उपायों की आवश्यकता है।
सीआईआई ने सिफारिश की है कि राजस्व वृद्धि के लिए करों का सरलीकरण एवं युक्तिकरण जारी रहना चाहिए तथा जीएसटी प्रणाली में सुधार जारी रखते हुए इसकार ढांचा त्रिस्तरीय करने तथा इसमें पेट्रोलियम, बिजली और रियल एस्टेट क्षेत्र को भी शामिल करने का संकेत देना चाहिए।
सीआईआई ने मांग को प्रोत्साहित करने के लिए विनिवेश का तीन साल का कार्यक्रम बनाकर इसके लक्ष्यों को पूरा किए जाने की सिफारिश की है। करों के सरलीकरण के बारे में उद्योग मंडल का कहना है कि टीडीएस दरों को सरल बनाने की योजना होनी चाहिए और केवल दो या तीन प्रकार के भुगतान पर टीडीएस लागू हो तथा कुछ प्रकार के भुगतानों की एक ऐसी छोटी सूची भी हो जिस पर यह न लगे। उन्होंने कहा कि इस समय टीडीएस संबंधी 31 धाराएं प्रभावी हैं तथा उसकी दरें 0.1 प्रतिशत से 30 प्रतिशत तक हैं।
सीआईआई ने सब्सिडी को और तर्कसंगत तथा इसके लक्ष्य को और अच्छा बनाए जाने की सिफारिश की है। उद्योग मंडल ने खाद्य सब्सिडी कार्यक्रम को ‘घरेलू उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण 2011-12’ से उपलब्ध आंकड़ों की बजाय नए आंकड़ों पर आधारित करने का सुझाव दिया है। इसी तरह उर्वरक सब्सिडी किसानों को सीधे दिए जाने की सिफारिश की गयी है।
सीआईआई का मनाना है कि आय और व्यय संबंधी सुझावों को लागू कर के के लिए पूंजीगत व्यय को 20 प्रतिशत बढ़ाकर 12 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाने तथा स्वस्थ विकास के लिए मदद करने की और अधिक संभावनाएं खुल सकती हैं।
निवेश पक्ष को प्रोत्साहित करने संबंध में सीआईआई ने एक पूर्ण निवेश मंत्रालय स्थापित करने का सुझाव दिया है जो भारत में निवेश के अवसरों के साथ-साथ भारतीय निवेशकों के लिए विदेश में निवेश के अवसरों को सुविधाजनक बनाने के लिए संपर्क का एकल बिंदु बने ।
इसके साथ साथ संगठन ने प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) और प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (पीएमएवाई-यू) पर निरंतर ध्यान केंद्रित करके कम लागत और किफायती आवास को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
श्री बनर्जी ने कहा, “समावेशी विकास को आगे बढ़ाने के लिए कृषि और ग्रामीण एक प्रमुख प्राथमिकता होनी चाहिए।” सीआईआई ने कहा है कि पीएमएवाई-जी के अलावा प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) जैसी ग्रामीण योजनाओं के लिए भी आवंटन बढ़ाया जाना चाहिए।
उद्योगमंडल ने सिफारिश की है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (एमजीएनआरईजीएस) के लिए मजदूरी भुगतान में तेजी लाई जानी चाहिए तथा कृषि उपजो की बर्बादी को कम करने के लिए भंडारण को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
सीआईआई ने समावेशी विकास के लिए रोजगार सृजन को महत्वपूर्ण बताया है और कहा है कि सरकार को उच्च बेरोजगारी वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हुए शहरी रोजगार गारंटी कार्यक्रम के लिए एक पायलट कार्यक्रम शुरू करना चाहिए। श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए बजट में ‘शिशुओं की देखभाल की सेवा’ को उद्योग के रूप में पहचान देने की सिफारिश भी की गयी है।
सीआईआई ने देश की युवा आबादी को समक्षम बना कर वैश्विक श्रम बाजार में लाभ उठाने का सुझाव देते हुए इसके लिए विदेश मंत्रालय के तहत एक अंतर्राष्ट्रीय गतिशीलता प्राधिकरण की स्थापना की सिफारिश भी की है। उसने कहा है कि
बदलती वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं के साथ, भारत को अपने साथ आने वाले विनिर्माण अवसर का लाभ उठाना चाहिए। इसके लिए, राज्यों को एनएसडब्ल्यूएस (नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम) के माध्यम से सभी विनियामक अनुमोदन प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

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