नयी दिल्ली 11 दिसंबर (वार्ता) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत की युवा शक्ति को ‘बदलाव का वाहक’ और ‘बदलाव का लाभार्थी’ बताते हुए देश के युवाओं का सोमवार को आह्वान किया कि वे वर्ष 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को लेकर अपनी कल्पना एवं चेतना शक्ति के साथ सरकार की कार्ययोजना में जुड़ें।
श्री मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ‘विकसित भारत एट 2047: युवाओं की आवाज’ का शुभारंभ किया और इस मौके पर प्रधानमंत्री ने देश भर के राजभवनों में आयोजित कार्यशालाओं में विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, संस्थानों के प्रमुखों और संकाय सदस्यों को संबोधित किया। केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान भी इस वर्चुअल सम्मेलन में उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज दुनिया की आबादी तेज़ी से बुज़ुर्ग हो रही है औऱ भारत युवाशक्ति से सशक्त है। विशेषज्ञ बताते हैं कि आने वाले 25-30 वर्षों तक कामकाजी आबादी के मामले में भारत सबसे अग्रणी रहने वाला है। इसलिए भारत के युवाओं पर पूरी दुनिया की नज़र है। युवाशक्ति, बदलाव का वाहक भी है और बदलाव का लाभार्थी भी है। आज जो युवा साथी, कॉलेज और विश्वविद्यालय में हैं, उनके करियर को भी यही 25 साल तय करने वाले हैं। यही युवा नए परिवार बनाने वाले हैं, नया समाज बनाने वाले हैं। इसलिए ये तय करना कि विकसित भारत कैसा हो, ये हक भी सबसे अधिक हमारी युवा शक्ति को ही है। इसी भाव के साथ सरकार, देश के हर युवा को विकसित भारत की कार्ययोजना से जोड़ना चाहती है। देश के युवाओं की आवाज़ को विकसित भारत के निर्माण की नीति-रणनीति में ढालना चाहती है। युवाओं के साथ आप सबसे ज्यादा संपर्क में रहते हैं, इसलिए इसमें आप सभी साथियों का योगदान बहुत महत्वपूर्ण होने वाला है।
उन्होंने कहा कि हमें प्रगति के जिस रोडमैप पर चलना है, वो सिर्फ सरकार तय नहीं करेगी, उसे देश तय करेगा। देश के हर नागरिक की सक्रिय भागीदारी उसमें होगी। सबका प्रयास यानि जन भागीदारी, एक ऐसा मंत्र है जिससे बड़े से बड़े संकल्प सिद्ध होते हैं। स्वच्छ भारत अभियान हो, डिजिटल इंडिया अभियान हो, कोरोना से मुकाबला हो, वोकल फॉर लोकल होने की बात हो, हम सभी ने सबका प्रयास की ताकत देखी है। सबका प्रयास, से ही विकसित भारत का निर्माण होना है।
उन्होंने कहा, “आप सभी विद्वत जन, स्वयं भी देश के विकास के विजन को आकार देने वाले लोग हैं, युवा शक्ति को निर्देशित करने वाले लोग हैं। इसलिए आपसे अपेक्षाएं कहीं अधिक हैं। ये देश का भविष्य लिखने का एक महाअभियान है। आपका हर सुझाव, विकसित भारत की इमारत की भव्यता को और निखारेगा। मेरा पक्का विश्वास है कि 2047 तक हम विकसित भारत बना सकते हैं, मिलकर के बना सकते हैं। आज यात्रा का आरंभ हो रहा है, नेतृत्व शिक्षाविदों के हाथ में है, नेतृत्व विद्यार्थियों के हाथ में है, नेतृत्व शिक्षण जगत के इंस्टीट्यूशन्स के हाथ में है, और ये अपने आप में देश बनाने वाली और स्वयं को भी बनाने वाली पीढ़ी का कालखंड है।”
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत विकसित भारत कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से आज की कार्यशाला आयोजित करने के लिए सभी राज्यपालों को बहुत-बहुत धन्यवाद देते हुए की और कहा कि विकसित भारत के संकल्प को लेकर आज का दिन विशेष है।
उन्होंने विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को पूरा करने में देश के युवाओं का मार्गदर्शन करने की जिम्मेदारी संभालने वाले सभी हितधारकों को एक साथ लाने में उनके योगदान की सराहना की। प्रधानमंत्री मोदी ने किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व विकास में शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका पर प्रकाश डाला और कहा कि कोई देश अपने लोगों के विकास से ही विकसित होता है।
श्री मोदी ने कहा कि शिक्षण संस्थानों की भूमिका व्यक्ति निर्माण की होती है, और व्यक्ति निर्माण से ही राष्ट्र निर्माण होता है। और आज जिस कालखंड में भारत है, उसमें व्यक्ति निर्माण का अभियान बहुत ज्यादा अहम हो गया है। उन्होंने कहा कि हर देश को इतिहास एक ऐसा कालखंड देता है, जब वो अपनी विकास यात्रा को कई गुना आगे बढ़ा लेता है। ये एक तरह से उस देश का अमृतकाल होता है। भारत के लिए ये अमृतकाल इसी समय आया है। ये भारत के इतिहास का वो कालखंड है, जब देश, एक ऊंची छलांग लगाने जा रहा है। हमारे इर्द-गिर्द ही ऐसे अनेक देशों के उदाहरण हैं, जिन्होंने एक तय समय में ऐसा ही ऊंची छलांग लेकर खुद को विकसित बना लिया। उन्हाेंने कहा कि भारत के लिए भी यही समय है, सही समय है। हमें इस अमृतकाल के पल-पल का लाभ उठाना है, हमें एक भी पल गंवाना नहीं है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम सभी के सामने प्रेरणा के लिए, आजादी का हमारा लंबा संघर्ष भी है। जब हम एक ध्येय के साथ, एक जोश-एक जज्बे के साथ, आज़ादी को अंतिम लक्ष्य मानकर मैदान में उतरे, तब हमें सफलता मिली। इस दौरान, सत्याग्रह हो, क्रांति का रास्ता हो, स्वदेशी को लेकर जागरूकता हो, सामाजिक और शैक्षणिक सुधार की चेतना हो, ये सारी धाराएं एक साथ मिलकर आज़ादी के आंदोलन की ताकत बन गईं थीं। इसी कालखंड में काशी हिंदू विश्वविद्यालय, लखनऊ विश्वविद्यालय, विश्वभारती, गुजरात विद्यापीठ, नागपुर विश्वविद्यालय, अन्नामलाई विश्वविद्यालय, आंध्र विश्वविद्यालय, केरल विश्वविद्यालय, ऐसे अनेक संस्थानों ने देश की चेतना को सशक्त किया।
उन्होंने कहा कि यही वो कालखंड था, जब हर धारा में युवाओं के भीतर आज़ादी को लेकर नई चेतना का संचार हुआ। आज़ादी के लिए समर्पित एक पूरी युवा पीढ़ी खड़ी हो गई। एक ऐसा विचार देश में बन गया कि जो भी करना है, वो आज़ादी के लिए करना है और अभी करना है। कोई चरखा कातता था, तो वो भी आजादी के लिए। कोई विदेशी सामान का बहिष्कार करता था, वो भी आज़ादी के लिए। कोई काव्य पाठ करता था, वो भी आज़ादी के लिए। कोई किताब या अखबार में लिखता था, वो भी आज़ादी के लिए। कोई अखबार के पर्चे बांटता था, तो वो भी आज़ादी के लिए।
प्रधानमंत्री ने कहा, “ठीक इसी तरह, आज हर व्यक्ति, हर संस्था, हर संगठन को इस प्रण के साथ आगे बढ़ना है कि मैं जो कुछ भी करूंगा वो विकसित भारत के लिए होना चाहिए। आपके लक्ष्य, आपके संकल्पों का ध्येय एक ही होना चाहिए- विकसित भारत। एक शिक्षक के तौर पर आप ये सोचें कि ऐसा क्या करेंगे कि विकसित भारत के लक्ष्य में देश की मदद हो? एक विश्वविद्यालय के तौर पर आप ये सोचें कि ऐसा क्या करें कि भारत तेजी से विकसित बने? आप जिस क्षेत्र में हैं, वहां ऐसा क्या हो, किस तरह हो कि भारत विकसित बनने के अपने मार्ग में तेजी से आगे बढ़े?”
श्री मोदी ने कहा कि आप जिन शिक्षण संस्थानों का प्रतिनिधित्व करते हैं, वहां आपको देश की युवा ऊर्जा को इस एक लक्ष्य के लिए दिशानिर्देशित करना है। आपके संस्थानों में आने वाला हर युवा, कुछ न कुछ विशेषताओं के साथ आता है। उसके विचारों को, चाहे वो कितने भी विविध क्यों न हो, उन सबको विकसित भारत के निर्माण की धारा से जोड़ना है। उन्होंने कहा, “आप सभी विकसित भारत एट 2047 के विजन में योगदान करने के लिए अपने दायरे से बाहर जाकर भी सोचें, लीक से हटकर सोचें। देश के हर कॉलेज और विश्वविद्यालय में अधिक से अधिक युवा इस अभियान में शामिल हो सकें, इसके लिए भी आपको विशेष अभियान चलाना चाहिए, नेतृत्व करना चाहिए, सरल भाषा में चीजों को व्यक्त करना चाहिए। आज ही माई गॉव ऐप के अंदर विकसित भारत एट 2047 सेक्शन शुरू हुआ है। इसमें विकसित भारत के विजन के लिए विचारों का एक सेक्शन है। और क्योंकि विचार यानी आईडिया की शुरुआत ही ‘आई’ से होती है, इसलिए इसमें ऐसे विचार चाहिए, जिसमें वर्णन हो कि मैं स्वयं भी क्या कर सकता हूं। हमें अगर सफलता पानी है, लक्ष्यों की प्राप्ति करनी है, उचित परिणाम लाना है तो स्वयं से ही शुरू होता है। इस माई गॉव पर इस ऑनलाइन आईडियाज़ के पोर्टल पर पांच अलग-अलग थीम पर सुझाव दिए जा सकते हैं। सबसे बेहतरीन 10 सुझावों के लिए पुरस्कार की भी व्यवस्था की गई है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें देश में एक ऐसी अमृतपीढ़ी को तैयार करना है, जो आने वाले वर्षों में देश की कर्णधार बनेगी, जो देश को नेतृत्व और दिशा देगी। हमें देश के एक ऐसी नौजवान पौध को तैयार करना है, जो देशहित को सर्वोपरि रखे, जो अपने कर्तव्यों को सर्वोपरि रखे। हमें सिर्फ शिक्षा और कौशल तक ही सीमित नहीं रहना है। एक नागरिक के तौर पर चौबीसों घंटे देश के नागरिक कैसे सजग रहें, इस दिशा में भी प्रयास बढ़ाने आवश्यक हैं। हमें समाज में वो चेतना लानी है, कैमरे लगे हों या ना लगे हों, लोग ट्रैफिक की रेड लाइट जंप ना करें। लोगों में कर्तव्यबोध इतना ज्यादा हो कि वो समय पर दफ्तर पहुंचें, अपने दायित्वों को निभाने के लिए आगे बढ़कर काम करें। हमारे यहां जो भी उत्पाद बने, उसकी गुणवत्ता इतनी बेहतर हो कि मेड इन इंडिया देखकर, लेने वाले का गर्व और बढ़ जाए। जब देश का हर नागरिक, जिस भी भूमिका में है, जब वो अपने कर्तव्यों को निभाने लगेगा, तो देश भी आगे बढ़ चलेगा। अब जैसे प्राकृतिक संसाधनों के इस्तेमाल से जुड़ा विषय है। जब जल संरक्षण को लेकर गंभीरता बढ़ेगी, जब बिजली बचाने को लेकर गंभीरता बढ़ेगी, जब धरती मां को बचाने के लिए केमिकल का इस्तेमाल कम होगा, जब सार्वजनिक परिवहन के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल के प्रति गंभीरता होगी, तो समाज पर, देश पर, हर क्षेत्र में बहुत ज्यादा सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि हमारे युवा कैसे आधुनिक जीवनशैली के दुष्प्रभावों का मुकाबला करें, इसके लिए आपके सुझाव अहम होंगे। मोबाइल की दुनिया के अलावा हमारे युवा बाहर की दुनिया भी देखें, ये भी उतना ही जरूरी है। एक शिक्षक के तौर पर आपको ऐसे कितने ही विचारों का बीजारोपण वर्तमान और अगली पीढ़ी में करनी है और आपको खुद भी अपने विद्यार्थियों का रोल मॉडल बनना है। देश के नागरिक जब देश के हित की सोचेंगे, तभी एक सशक्त समाज का निर्माण होगा औऱ आप भी जानते हैं कि जिस तरह समाज का मानस होता है, वैसी ही झलक हमें शासन-प्रशासन में भी नजर आती है।
श्री मोदी ने राज्यपालों एवं कुलपतियों से कहा, “मैं अगर शिक्षा के क्षेत्र की बात करुं, तो उससे जुड़े भी कितने ही विषय हैं। तीन-चार साल के कोर्स के बाद हमारे शिक्षण संस्थान प्रमाण पत्र देते हैं, डिग्रियां देते हैं, लेकिन क्या हमें ये सुनिश्चित नहीं करना चाहिए कि हर छात्र के पास कोई न कोई स्किल अनिवार्य रूप से हो? ऐसी चर्चाएं, इससे जुड़े सुझाव ही विकसित भारत की यात्रा का मार्ग स्पष्ट करेंगे। इसलिए आपको अपने हर कैंपस, हर संस्थान और राज्य के स्तर पर इन विषयों पर मंथन की एक व्यापक प्रक्रिया के रूप में आगे बढ़ना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि विकसित भारत के निर्माण का ये अमृतकाल वैसा ही है, वैसा ही समय है, जैसे हम अक्सर परीक्षाओं के दिनों में देखते हैं। विद्यार्थी अपने परीक्षा के प्रदर्शन को लेकर बहुत आत्मविश्वासी होते हैं, लेकिन फिर भी अंतिम समय तक वो कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ता है। हर विद्यार्थी अपना सब कुछ झोंक देता है, समय का पल-पल एक ही ध्येय से जोड़ देता है। और जब परीक्षा की तारीखें आ जाती हैं, तो ऐसा लगता है कि पूरे परिवार की परीक्षा की तारीख आ गई है। सिर्फ विद्यार्थी ही नहीं, बल्कि पूरा परिवार ही एक अनुशासन के दायरे में हर काम करता है। हमारे लिए भी देश के नागरिक के तौर पर परीक्षा की तारीख घोषित हो चुकी है। हमारे सामने 25 साल का अमृतकाल है। हमें चौबीसों घंटे, इसी अमृतकाल और विकसित भारत के लक्ष्यों के लिए काम करना है। यही वातावरण हमें एक परिवार के रूप में बनाना ये हम सब की सामूहिक जिम्मेदारी है।