महानदी जल विवाद अधिकरण के निर्देश पर महानदी के जल-बंटवारे को लेकर छत्तीसगढ़ और ओडिशा के दावों पर महानदी बेसिन क्षेत्र में दो चरणों में महानदी में जल की उपलब्धता एवं उपयोगिता का निरीक्षण आज से शुरू हो गया हैं।
आधिकारिक सूत्रों ने आज यहां इसकी जानकारी देते हुए बताया कि आज 18 अप्रैल से 22 अप्रैल तक प्रथम चरण एवं 29 अप्रैल से 03 मई तक द्वितीय चरण में निरीक्षण किया जाएगा। इन निरीक्षण में महानदी के उद्गम क्षेत्र से छत्तीसगढ़ की सीमा यथा जिला रायगढ़ तक का क्षेत्र शामिल होगा। इसके बाद ओडिशा के महानदी बेसिन क्षेत्र में इसी प्रकार महानदी जल विवाद अधिकरण के पृथक आदेश के अनुसार निरीक्षण किया जाएगा।
छत्तीसगढ़ में पांच नदी घाटियों (महानदी, गोदावरी, गंगा, ब्राह्मणी, नर्मदा) के बेसिन क्षेत्र आते हैं। छत्तीसगढ़ की 78 प्रतिशत जनसंख्या महानदी बेसिन में निवास करती है, जोकि इस राज्य की जीवन-रेखा है।अंतरराज्यीय नदी, महानदी, के जल संसाधनों का बंटवारा करने के लिए ओडिशा एवं छत्तीसगढ़ राज्य के बीच कभी भी कोई अंतरराज्यीय समझौता नहीं हुआ है, हालांकि मतभेदों को दूर करने के लिए अतीत में कुछ प्रयास जरूर किए गए।
आधिकारिक स्तर पर दोनों राज्यों की बैठकें वर्ष 1973, 1976 और 1979 में ओडिशा और मध्यप्रदेश (अब छत्तीसगढ़) के अधिकारियों के बीच आयोजित की गईं। महानदी बेसिन क्षेत्र में स्थित कुछ परियोजनाओं पर 1983 में मध्यप्रदेश और ओडिशा के मुख्यमंत्रियों के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे, परंतु इस समझौते पर अधिकरण की स्थापना तक राज्यों द्वारा संपूर्ण रूप से क्रियान्वयन नहीं किया गया।
ओडिशा द्वारा मुख्य महानदी की धारा पर छह औद्योगिक बैराज के निर्माण एवं गैर मानसून अवधि में छत्तीसगढ़ में स्थित महानदी एवं अन्य स्त्रोतों से जल आवक की कमी को लेकर केंद्र सरकार के समक्ष शिकायत दर्ज की गई। ओडिशा द्वारा छत्तीसगढ़ के अंतर्गत स्थित महानदी के जल का बंटवारा करने के लिए आवेदन किया गया है। ओडिशा द्वारा प्रस्तुत तथ्य तकनीकी विषयों पर आधारित होने के कारण उच्चतम न्यायालय के हस्तक्षेप/आदेश के आधार पर महानदी जल विवाद अधिकरण का गठन 12 मार्च 18 को केन्द्र शासन द्वारा अधिसूचना के आधार पर किया गया।
छत्तीसगढ़ ने भी केंद्र सरकार से शिकायत की और समग्र रूप से बेसिन में कुल उपलब्ध जल संसाधनों को ध्यान में रखते हुए महानदी के पानी के समान रूप से वितरण की मांग की गई हैं। महानदी जल विवाद अधिकरण की अब तक 36 सुनवाई हो चुकी है।छत्तीसगढ़ में जल संसाधन विभाग का विकास इसी विवाद के महानदी जल विवाद अधिकरण के द्वारा जारी अवार्ड में राज्य को आबंटित जल की मात्रा के परिणाम पर निर्भर है। उक्त अवार्ड की वैधता वर्ष 2051 तक रहेगी।