कश्मीर घाटी में सोमवार की रात शब-ए-कदर धार्मिक उल्लास के साथ मनाया गया और वर्ष 2019 के बाद पहली 14 वीं सदी की मस्जिद में शब-ए-कदर की नमाज की अनुमति दी गई।
कश्मीर घाटी की सभी प्रमुख मस्जिदों और दरगाहों में मंगलवार सुबह तक रात भर नमाज अदा की गई। सबसे बड़ी सभा पुराने शहर में जामिया मस्जिद और डल झील के किनारे हजरतबल दरगाह में आयोजित की गई ।
अधिकारियों ने शुक्रवार को श्रीनगर की भव्य जामिया मस्जिद में जुमेत-उल-विदा की नमाज पर रोक लगा दी थी, जिस पर जनता और राजनेताओं की तीखी प्रतिक्रिया हुई थी। वर्ष 2019 के बाद पहली 14 वीं सदी की मस्जिद में शब-ए-कदर की नमाज की अनुमति दी गई। ऐतिहासिक मस्जिद शब-ए-कदर पर अकीदतमंदो के लिए खुली थी।
अधिकारियों ने कहा कि जामिया मस्जिद में रात भर की नमाज शांतिपूर्वक संपन्न हुई। श्रीनगर पुलिस ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर जामिया मस्जिद में शब-ए-क़दर की नमाज़ का एक वीडियो भी पोस्ट किया। श्रीनगर के मेयर जुनैद मट्टू ने कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि अब सभी शुक्रवार और ईद की नमाज को भव्य मस्जिद में अनुमति दी जाएगी।
उन्होंने ट्वीट कर कहा, “जामिया मस्जिद, नौहट्टा में शब-ए-क़दर के रूप में एक दिलकश, स्वागत योग्य दृश्य पूरे धार्मिक उत्साह के साथ मनाया जाता है। पूरी उम्मीद है कि यह जुमा और ईद की नमाज़ सहित सभी नमाज़ों के लिए जारी रहेगा। समुदाय के बुजुर्गों और युवाओं पर भी यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी है कि एजेंट उकसाने वाले दूर रहें।”
जामिया मस्जिद कश्मीर की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है और घाटी के कई महत्वपूर्ण घटनाक्रमों का केंद्र रही है।
सभी मस्जिदों और दरगाहों पर तवरीह की नमाज के अलावा इबादत और कुरान की तिलावत में श्रद्धालु तल्लीन रहे। धार्मिक प्रचारकों ने भी पवित्र रात्रि के महत्व पर प्रकाश डाला।
कश्मीर घाटी की शांति और समृद्धि के लिए विशेष प्रार्थना की गई। शब-ए-क़दर सबसे पवित्र और बरकत वाली रातों में से एक है जो आमतौर पर रमज़ान की 27वीं रात को पड़ती है। हालांकि विद्वानों का कहना है कि यह रमजान महीने के अंतिम 10 दिनों की किसी भी विषम रात्रि को भी पड़ सकता है।
शब-ए-कदर के अगले दिन, लोग आमतौर पर रमजान के महीने के बाद पड़ने वाली ईद-उल-फितर की तैयारी शुरू कर देते हैं। शब-ए-कदर के बाद त्योहारों की खरीदारी भी जोरों पर है।