नयी दिल्ली, देश में शोध को गति देने और संबंधित संस्थानों को निगमित करने वाले ‘अनुसंधान राष्ट्रीय शोध प्रतिष्ठान विधेयक 2023’ को बुधवार को राज्यसभा ने ध्वनिमत से पारित कर दिया। इसके साथ ही इसे संसद से स्वीकृति मिल गयी। लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है।
यह विधेयक शोध और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड अधिनियम, 2008 को निरस्त करता है और इसके तहत स्थापित विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड को भंग करता है। विधेयक में अनुसंधान राष्ट्रीय शाेध प्रतिष्ठान (एनआरएफ) की स्थापना का प्रावधान है।
सदन में संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि देश के विकास को गति देने के लिए सरकार नवाचार एवं शोध पर जोर दे रही है। शोध के लिए नये नये संस्थानों की स्थापना की जा रही है और उन्हें वित्तीय मदद दी जा रही है। सरकार देश की समस्याओं के समाधान के लिए नवाचार को प्रोत्साहन दे रही है। उन्होंने कहा कि इसके अच्छे परिणाम सामने आयें हैं।
उन्होंने कहा कि एनआरएफ के संचालन बोर्ड के अध्यक्ष प्रधानमंत्री होंगे। बोर्ड के अन्य सदस्य में केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री और केंद्रीय शिक्षा मंत्री बोर्ड में उपाध्यक्ष के रुप शामिल होंगे। प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार सदस्य सचिव होंगे। बोर्ड में विशेषज्ञों की नियुक्ति की जा सकती है।
विधेयक के अनुसार एनआरएफ अनुसंधान, नवाचार और उद्यमिता के लिए रणनीतिक दिशा प्रदान करने वाला देश का सर्वोच्च निकाय होगा। इसके कार्यक्षेत्र गणित सहित प्राकृतिक विज्ञान, इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी, पर्यावरण एवं पृथ्वी विज्ञान, स्वास्थ्य एवं कृषि, तथा मानविकी एवं सामाजिक और संबंधित तकनीक होगी।
चर्चा में बीजू जनता दल के सुजीत कुमार, वाईएसआरसीपी के अयोध्या रामी रेड्डी आला, तेलुगू देशम पार्टी के कनकमुदला रविंद्र कुमार, वाईएसआरसीपी के वी. विजय साई रेड्डी, टीएमसी एम के जी के वासन और अन्नाद्रमकु के एम. थंबी दुरई ने भी हिस्सा लिया।