राजधानी की हुजूर व उत्तर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस की जीत का गणित बिगड़ता दिखाई दे रहा है। कांग्रेस से बागी हुए पूर्व विधायक जितेंद्र डागा ने सोमवार को निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए नामांकन पत्र भर दिया। यदि वो दो नवंबर तक नाम वापस नहीं लेते हैं तो हुजूर विधानसभा क्षेत्र में त्रिकोणीय मुकाबला होना तय माना जा रहा है। दरअसल पूर्व विधायक डागा हुजूर विधानसभा क्षेत्र से वर्ष-2008 में भाजपा से चुनाव लड़े थे। भाजपा की कद्दावर नेता स्वर्गीय सुषमा स्वराज की सलाह पर भाजपा आलाकमान ने डागा को प्रत्याशी घोषित किया। जब डागा को टिकट मिला तो सभी अंचभित हो गए थे, क्योंकि उन दिनों वो क्षेत्रवासियों के बीच चर्चित नेता नहीं थे, लेकिन जनता ने भाजपा को जीताने की परंपरा नहीं बदली। मतदाताओं ने कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र मीणा को हरा कर डागा को विधायक बनाया। विधायक रहने पर डागा ने हुजूर विधानसभा क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत की। वर्ष-2013 में भोपाल विकास प्राधिकरण(बीडीए)के पूर्व सीईओ एमजी रूसिया की मौत के मामले में नाम आने पर भाजपा ने छवि धूमिल होने के डर से डागा का टिकट काट कर रामेश्वर शर्मा को उम्मीदवार बनाया था। शर्मा ने कांग्रेस उम्मीदवार राजेंद्र मंडलोई को 50 हजार से अधिक मतों से हराया था